Ananya Pandey

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किसी बेरंग शाम एक कप कॉफी और तुम Mar-2022

"किसी बेरंग शाम एक कप कॉफी और तुम"
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बहुत याद आते हैं वह दिन...

अक़्सर गली के नुक्कड़ पर उससे मुलाक़ात होती। साथ चलते हुए  मैं मुस्कुराकर कहता यूँ राहों में अचानक मिल जाना अच्छा लगता है ना ..?

और जवाब में वह  एक टक मेरी ओर देखती
और धीमे से पलकें झुका लेती....

मेरा घर दूसरी दिशा में होने के बावजूद मैं उसके साथ उसके घर तक चला आता।अपने घर पहुंचकर  हर बार उसका कहना

शायद! आपने गलत मोड़ ले लिया है।

तब मैं अपने सर के पीछे अपने हाथ रख शर्मा कर  कहता ...

शायद ! 

मगर क्या ये दो राहें कभी एक नहीं हो सकती।और वह बिना कुछ कहे भीतर उस खिड़की पर चली जाती जहाँ से जाते हुए मुझे अगली मोड़ तक चोरी-चोरी देख सके।

याद है मुझे ! जब मैं वापस अपनी मोड़ मुड़ता उसकी खिड़की से एक गीत सुरीली आवाज़ में दूर तक मेरा पीछा करती।

//अजनबी कौन हो तुम जबसे तुमसे देखा है 
   सारी दुनिया मेरी आँखों मे सिमट आई है//

 उसकी सोच से बेख़बर मैं ये समझता रहा ये गीत वह मेरे लिए गुनगुना रही है मगर ये वहम उस दिन टूट गया जब मैं उसकी आवाज़ को यादों में रिकॉर्ड कर शाम को उसी नुक्कड़ पर उस चाय की गुमटी में खड़ा उसे गुनगुनाने की कोशिश कर रहा था  और वह अपने चंद दोस्तो के साथ हँसते हुए (मज़ाक उड़ाते हुए) करीब से यह कहकर गुज़र गई....

कुछ गीत महज होंठों से,सुरीली आवाज में निकले तभी दिलों में घर करती है.. वरना फ़टी बांस की आवाज सुनकर पुलिस पीछे पड़ जाती है।

कभी- कभी आँखे बंद कर लेनी चाहिए हालात से... 
छोड़ देना चाहिए हालात को जैसे है उसी हालत में...
और मैंने भी वही किया.....

उदास दिल और फीकी मुस्कान साथ लिए
उनके अंदाज को कुछ यूँ कागज़ पर उतारा......

मीठा हो या तीखा बस अनोखा है
उनकी बातों का 
अंदाज ही कुछ ऐसा है
हमने उलझा ली अपनी उँगलियाँ उनसे 
हमे उनसे उलझना अच्छा लगता रहा
और वो कहते हैं कि--
फ़ांस सा चुभने लगा है कोई
जाने गैर है या हमदम कोई

अक्सर सिलेटी शाम में
जब सैर पर अकेला निकलता
उनके सुरीली अंदाजों के 
कुछ आवाज़े साथ ले लेता 
थोड़ी दूर गली के नुक्कड़ पर
जब अँधेरा घिरने लगे
सर्द सन्नाटा मुँडेरों पर आकर बैठ जाये
वहीं उसी चाय की गुमटी  पर 
उसे अपने सुर में 
पिरोने की कोशिश करता 
और वो कहते हैं कि---
देखो यूँ कौन गली में चिल्ला रहा 
मुझको इसमें शोर ज़्यादा गायकी कम लगती है।

               // नैना तेरे कजरारे हैं नैनों पे हम दिल हारे हैं
                   अनजाने ही तेरे नैनों ने बातें किये कई सारे हैं//
                  
...............
प्रिया पाण्डेय रोशनी 

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7 Comments

Shrishti pandey

03-Mar-2022 02:58 PM

Nice

Reply

Abhinav ji

03-Mar-2022 08:55 AM

Very nice

Reply

Astha Singhal

03-Mar-2022 07:39 AM

बहुत बढ़िया

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